Monday, August 4, 2008

हमारा भी हिस्सा होना चाहिए


बह रहे पसीने में जो पानी है वह सूख जाएगा

लेकिन उसमें कुछ नमक भी है

जो बच रहेगा


टपक रहे ख़ून में जो पानी है वह सूख जाएगा

लेकिन उसमें कुछ लोहा भी है

जो बच रहेगा


एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकार

तुम पाओगे ख़ुद को और ढेर सारा

ख़रीद भी लाओगे

लेकिन तब पाओगे कि अरे

हमें तो अब पानी भी रास नहीं आता

तब याद आएगा वह पानी

जो तुम्हारे देखते-देखते नमक और लोहे का

साथ छोड़ गया था


दुनिया के नमक और लोहे में हमारा भी हिस्सा है

तो फिर दुनिया भर में बहते हुए ख़ून और पसीने में

हमारा भी हिस्सा होना चाहिए.

--------------नरेश सक्सेना, समुद्र पर हो रही है बारिश, साभार

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