(प्रस्तुत हैं ग्वाटेमाला के प्रसिद्द कवि और छापामार विद्रोही ओत्तो रेनी कास्तिलो की कवितायेँ। अनुवाद कुलदीप प्रकाश का है। यहाँ अभिषेक मिश्रा के ब्लॉग शहर के पैगम्बरों से कह दो से साभार। )
तुम्हारे पास बन्दूक है
और मैं भूखा हूँ
तुम्हारे पास बन्दूक है
क्योंकि मैं भूखा हूँ
तुम्हारे पास बन्दूक है
इसलिए मैं भूखा हूँ
तुम एक बन्दूक रख सकते हो
तुम्हारे पास एक हज़ार गोलियां हो सकती हैं
और एक हज़ार और हो सकती हैं
तुम उन सब को मेरे नाचीज शरीर पर आजमा सकते हो
तुम मुझे एक, दो, तीन, दो हज़ार, सात हज़ार, बार मार सकते हो
लेकिन अंततः
मैं हमेशा तुमसे ज्यादा हथियारबंद रहूँगा
यदि तुम्हारे पास एक बन्दूक है
और मेरे पास
केवल भूख।
तुम्हारे पास बन्दूक है
और मैं भूखा हूँ
तुम्हारे पास बन्दूक है
क्योंकि मैं भूखा हूँ
तुम्हारे पास बन्दूक है
इसलिए मैं भूखा हूँ
तुम एक बन्दूक रख सकते हो
तुम्हारे पास एक हज़ार गोलियां हो सकती हैं
और एक हज़ार और हो सकती हैं
तुम उन सब को मेरे नाचीज शरीर पर आजमा सकते हो
तुम मुझे एक, दो, तीन, दो हज़ार, सात हज़ार, बार मार सकते हो
लेकिन अंततः
मैं हमेशा तुमसे ज्यादा हथियारबंद रहूँगा
यदि तुम्हारे पास एक बन्दूक है
और मेरे पास
केवल भूख।
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