Sunday, April 8, 2012

माँ! मैं झूठ नहीं कहता

माँ! मैं झूठ नहीं कहता
मैं तुमसे प्यार नहीं करता
नहीं चाहता हूँ मैं तुम्हे
मैं तो अमेरिका को चाहता हूँ
माफ़ करना , ओ मेरी स्वर्ग सी बेहतर जन्मभूमि!

Thursday, October 8, 2009

पति,पत्नी और वो : एक अमानुषिक मनोरंजन

एन डी टी वि मनोरंजन पर एक रियलिटी शो शुरू हुआ है। इसमे कुछ पुरूष हैं , कुछ स्त्रियाँ हैं और कुछ शिशु हैं। इन शोहरतजादा और शोहरतजादियों को युगल यानि पति-पत्नी की भूमिका दी गई है। ये लोग टीवी और फिल्मों के पिटे मुहरें हैं। इन्हें बच्चे पालने का तजुर्बा नहीं है, मनोरंजन का पक्ष यह है कि ये दिए गए बच्चों को पालते हुए दिखकर ये दर्शकों का मनोरंजन करेंगे और उक्त चैनल का टी आर पी बढायेंगे।
आइये , अब थोडी सी चर्चा इस वास्तविक तमाशे से जुड़े लोगों की नियत को परखें।

Wednesday, July 15, 2009

भूख और बन्दूक

(प्रस्तुत हैं ग्वाटेमाला के प्रसिद्द कवि और छापामार विद्रोही ओत्तो रेनी कास्तिलो की कवितायेँ। अनुवाद कुलदीप प्रकाश का है। यहाँ अभिषेक मिश्रा के ब्लॉग शहर के पैगम्बरों से कह दो से साभार। )



तुम्हारे पास बन्दूक है
और मैं भूखा हूँ

तुम्हारे पास बन्दूक है
क्योंकि मैं भूखा हूँ

Friday, May 1, 2009

चुनाव आयोग को हमारी तरफ से


उस चुनाव आयोग को हमारी तरफ से जिसे होश नहीं कि किस ऊँगली पर निशान लगा रहा है? और जिसे दिखाने की प्रक्रिया में अर्थ का अनर्थ हो जाता है। ऐसी लापरवाही अशोभनीय है।

Friday, March 13, 2009

परिवार की बदलती संरचना

आज के समय में परिवार की संकल्पना मानसिक धरातल पर संभवत: यथावत् हो परन्तु उसकी संरचना विकृत एवं विघटित होती जा रही है। संबंधों में क्लेश बढ़ रहा है तो आचरणों में अह्म भाव। "मेरी मर्जी" से बनी मूल्य व्यवस्था मानवीय व्यवहार का हनन कर रही है। जीवन की गतिविधियाँ कर्तव्यों से नहीं अधिकारों से निर्धारित होने लगी है। तलाक, आत्महत्या एवं अपराध में वृद्धि अनायास ही नहीं हो रही है। पारिवारिक संबंधों में अपराध के स्वरूप भी बदलते एवं बढ़ते जा रहे हैं। आर्थिक अपराध व बुजुर्गों के मानसिक उत्पीड़न के अतिरिक्त यौनशोषण भी बढ़ता जा रहा है। बाज़ार के संस्कृति उद्योग ने इसे अधिक उग्र बना दिया है। इन विषयों पर साहित्यिक रचनाएँ बहुत हुईं, फिल्म व धारावाहिक भी बहुत बने, परन्तु समाज पर प्रभाव लगभग शून्य ही रहा। अपितु वृद्धि ही होती जा रही है। अतएव अन्य विभिन्न कारणों के अतिरिक्त बाज़ारतंत्र के सापेक्ष परिवार की बदलती संरचना पर पुनर्विचार की जरूरत है।

Thursday, March 5, 2009

अंग्रेजी भाषा का रोग

हमें यह लिखते हुए दु:ख होता है कि हमारे राष्ट्रीय कार्यकर्ता भी इस रोग में उतने ही ग्रस्त हैं, जितने सरकार के कर्मचारी या वकील या कालेजों के अध्यापक। इसमें संदेह नहीं कि वे खद्दर पहनने लगे हैं, पर उनके मनोभावों में लेशमात्र भी संस्कृति नहीं आयी। किसी कमेटी की बैठक में चले जाइए, आप खद्दरधारी महाशयों को फर्राटे से अंग्रेजी झाडते हुए पायेंगे। वह शब्द और वाक्य जो उन्होंने दैनिक पत्रों या अंग्रेजी पत्रों में पढ़े हैं, बाहर निकलने के लिए अकुलाते रहते हैं और अवसर पाते ही फूट निकलते हैं। हँसी तो तब आती है जब यह हज़रत अंग्रेजी न जाननेवाली महिलाओं के सामने भी अपने वाग्विलास से बाज़ नहीं आते। अंग्रेजी भाषा का यह जादू कब तक हमारे सिरों पर रहेगा? कब तक हम अंग्रेजों के गुलाम बने रहेंगे. इससे तो यही टपकता है कि राष्ट्रीयता अभी हृदय की गहराई तक नहीं पहुँचने पायी। महात्मा गाँधी के सिवाय हम किसी नेता को हिन्दी भाषा के प्रचार पर जोर देते नहीं देखते। यह विदित रहे कि जब तक हमारी राष्ट्रभाषा का निर्माण न होगा, भारतीय राष्ट्र का निर्माण ख्वाब और खयाल है। जापानी, जापानी में अपने भावों को प्रकट करता है, चीनी, चीनी भाषा में. ईरानी, फारसी में, लेकिन भारत की शिक्षित जनता अंग्रेजी पढ़ने और बोलने में अपना गौरव समझती है। कितने ही सज्जन तो यह कहने में संकोच नहीं करते कि हिन्दी लिखने या बोलने में उन्हें असुविधा होती है। यह सीधी-सादी मानसिक दासता है। बड़े से बड़ा हिन्दुस्तानी भी एक गोरे से बात करता है तो अंग्रेजी में। वह यह भूलकर भी नहीं सोचता कि अंग्रेज हिन्दुस्तानी में क्यों न बात करे। खैर अंग्रेजों से अंग्रेजी में बात करने को किसी हद तक क्षम्य भी मान लिया जा सकता है, लेकिन आपस में अंग्रेजी में बातचीत करने के लिए तो कोई दलील ही नहीं।
.............................................................................….प्रेमचंद

Saturday, January 17, 2009

sixth pay for university teachers

it is known to us that in the sixth pay,basic pay is fixed based on the pay grade.The rules says that if the pay grade is 5400 the basic pay is 15600,if the pay grade is 6600 the basic pay is fixed at 18750,and if pay grade is 7600 then basic pay is fixed at 21900,if pay grade is 8700 then basic is fixed at 37300 and so on.Now the acadamic pay grades are 6000,7000,8000,9000,which is clearly not in the rules of the sixth pay commission rules as notified by the govt of India.As per the definition of pay grade in the sixth pay commission,if the pay grade is 6000 the basic pay should be fixed at Rs 17175.For the pay grade 7000, the basic pay should be at Rs 19970,and for pay grade 8000 the basic pay should be fixed at rs 27190.Now the total bsic pays at the pay grades of 6000,7000,8000 should be 23175,26970,35190 respectively.the main argument is if our pay grade is 6000,how can our basic pay will be fixed at 15600 rather it should be at 17175 and so on.since our pay grade is not defined in the definition of sixth pay of the govt of india.So some mathematical modeling should be applied.Let x denotes the pay grade and y denotes the basic pay to be fixed.by using the well known pay grades x=5400,6600,7600,8700 etc and basic pays y=15600,18750,21900,37300 etc.Using the principle of the least square,we can fit an appropriate curve in the x-y plane.one of the simpliest method is fixing them linearly piece wise.i.e. join pts (5400,15600) and (6600,18750);join pts (6600,18750) and (7600,21900) lastly join pts (7600,21900) and (8700,37300).From this graph if x=6000,7000,8000 then y=17175,19970,27190 respectively.Thus the total basic pays should be 23175,26970,35190 for the pay grades of 6000,7000,8000 respectively.We should keep in mind that in the sixth pay commission pay grades determine the position of the post.